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जैन-विद्या के क्षेत्र में जब और जहाँ कहीं भी कोई योजना बनती, मार्ग-निर्देशन हेतु आपका स्मरण अवश्य किया जाता। वस्तुतः आप विद्वान् तो हैं ही, किन्तु एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। आपके द्वारा राष्ट्रीय स्तर की अनेक सम्मेलनों और संगोष्ठियों का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ है। जैनधर्म के आचार्यों एवं साधु-साध्वियों ने विपुल संख्या में आपसे अध्ययन एवं शोधकार्य किया है, उनकी संख्या 300 से अधिक ही है। देश-विदेश की यात्रा
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने और जैन संस्थाओं ने आपके व्याख्यानों का आयोजन किया। बम्बई, कलकत्ता, मद्रास, अहमदाबाद, पाटण, उदयपुर, जोधपुर,दिल्ली, उज्जैन, इन्दौर आदि अनेक नगरों में आपके व्याख्यान आयोजित किये जाते रहें हैं, साथ ही आप विभिन्न विश्वविद्यालयों में विषय-विशेषज्ञ के रूप में भी आमन्त्रित किये जाते रहे हैं। यही नहीं, आपको एसोशिएशन आफ वर्ल्ड रिलीजन्स 1985 में तथा पार्लियामेन्ट आफ वर्ल्ड रिलीजन्स 1993 में जैन धर्म के प्रतिनिधि वक्ता के रूप में अमेरिका में आमन्त्रित किया गया। पार्लियामेन्ट आफ वर्ल्ड रिलीजन्स के अवसर पर न केवल आपने वहाँ अपना निबन्ध प्रस्तुत किया, अपितु अमेरिका के विभिन्न नगरों-शिकागों, न्यूयार्क, राले, वाशिंगटन, सेनफ्राँसिस्कों, लासएन्जिल्स, फिनिक्स, आदि में जैनधर्म के विविध पक्षों पर व्याख्यान भी दिये। इस प्रकार, जैनधर्म-दर्शन और साहित्य के अधिकृत विद्वान् के रूप में आपका यश देश एवं विदेश में प्रसारित हुआ। सन् 1995 से 2000 तक आपको अनेक बार यू.एस.ए अमेरिका में पर्युषण व्याख्यान के लिए आमन्त्रित किया गया। मार्च 2009 में आपको लन्दन विश्वविद्यालय में जैनयोग पर व्याख्यान हेतु आमन्त्रित किया गया देश और विदेश के अनेकों विश्वविद्यालय में आपके व्याख्यान हुए हैं। सत्यनिष्ठा
निरन्तर कार्यरत रहते हुए आपने अनेक ग्रन्थों, लघु पुस्तिकाओं और निबन्धों के माध्यम से भारती के भण्डार को समृद्ध किया है। आपने लगभग 150 से अधिक ग्रन्थों की लगभग एक लाख पृष्ठों की सामग्री को संपादित एवं प्रकाशित करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है। आपके निर्देशन में जैन ई-लायब्रेरी का प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसमें लगभग तीन हजार जैन-ग्रन्थों के दस लाख पृष्ठों की सामग्री सहज उपलब्ध हो रही है, साथ ही आपके निर्देशन में पचास से अधिक शोधार्थियों ने पीएच.डी. एवं डी.लिट् के हेतु शोधकार्य किया है। आपके चिन्तन
और लेखन की विशेषता यह है कि आप सदैव साम्प्रदायिक-अभिनिवेशों से मुक्त होकर लिखते हैं। आपकी “जैन एकता" नामक पुस्तिका न केवल पुरस्कृत हुई सागरमल जीवनवृत्त
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