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14. ये ते समणब्राह्मणा संगिनो गणिनो गणाचरिया आता यसस्सिनो तित्थकरा साधु सम्मता,
बहुजनस्य, सेप्यथीदं-पूरणो कस्सपो, मक्खलिगोसालो, अजितो केसकम्बली, पकुघो
कच्चायनो, संजयो बेलटिठपुत्ता, निगण्ठ, नातपुत्तो। - सुत्तनिपात, 32-सभियंसुत्त. 15. (अ) पालिसाहित्य का इतिहास (भरत सिंह उपाध्याय), पृष्ठ 102-104.
is ..... the oldest of the poetic books of the Buddhist Scriptuares Introduction, page-2-Sutta-Nipata (Sister vajira). 16. उभो नारद पब्बता।
सुत्तनिपात 32, सभियसुत्त, 34. 17. असितो इसि अद्दस दिवाविहारे।
सुत्तनिपात 37, नालकसुत्त 1. 18. जिण्णेऽहमस्मि अबलो वीतवण्णे (इच्चायस्मा पिंगियो)
सुत्तनिपात 71 पिंगियमाणवपुच्छा. 19. सुत्तनिपात, 32 सभियसुत्त। 20. वही। 21. वही। 22. घेरगाथा 36, डिक्सनरी ऑफ पाली प्रापर नेम्स वाल्यूम प्रथम पेज 631, वाल्यूम द्वितीय
पेज 15 23. (अ) आता छेत्तं, तवो बीय, संजमो जुअणंगलं।
झाणं फालो निसित्तो य, संवरो य बीयं दढं।।8।। अकूडत्तं च कूड़ेसु, विणए णियमणे ठिते। तितिक्खा य हलीसा तु, दया गुत्ती य पग्गहा।।9।। सम्मत्तं गोत्थणवो, समिती उ समिला तहा। थितिजोत्तसुसंबद्धा सव्वण्णुवयणे रया।।10।। पंचैव इंदियाणि तु खन्ता दन्ता य णिजिजता। माहणेसु तु ते गोणा गंभीरं कसते किसि।।।1।। तवो बीयं अवंझं से, अहिंसा णिहणं परं। ववसातो घणं तस्स, जुत्ता गोणा य संगहो।।2।। थिती खलं वसुयिंक, सद्धा मेढी य णिच्चला। भावणा उ वती तस्स, इरिया दारं सुसंवुडं।।13।। कसाया मलणं तस्स, कित्तिवातो व तक्खमा। णिज्जरा तु लवामीसा इति दुक्खाण णिक्खति।।4।। एतं किसिं कसित्ताणं सव्वसत्तदयावह। माहणे खत्तिए वेस्से सुद्दे वापि विसुज्झती।।15।।
-- इतिभासियाइं 26/8-15. (ब) “कतो छत्तं, कतो बीयं, कतो ते जुगणंगलै?
गोणा वि ते ण पस्सामि, अज्जो, का णाम ते किसी।।1।। आता छेत्तं, तवो बीयं, संजमो जुगणंगलं। अहिसां समिती जोज्जा, एसा घम्मन्तरा किसी।।2।।
जैन धर्मदर्शन
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