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पुरोवाक्
1. जैन तत्त्वदर्शन
अनुक्रम
1.1. जैन तत्त्वमीमांसा का ऐतिहासिक विकास क्रम
1.2. जैन दर्शन में सत् का स्वरूप
1.3. जैन दर्शन में द्रव्य, गुण एवं पर्याय की अवधारणा
1.4. जैन दर्शन में पंचास्तिकाय एवं षट्द्द्रव्य
1.5. जैन दर्शन में आत्मा या जीवतत्त्व
1.6. महावीर के समकालीन आत्मवाद एवं जैन आत्मवाद का वैशिष्ट्य
1.7. जैन दर्शन में पुदगल तत्त्व और परमाणु की अवधारणा 1.8. जैन तत्त्वमीमांसा और आधुनिक विज्ञान
2. जैन ज्ञानदर्शन
2.1. जैन दर्शन में पंचज्ञानवाद
2.2. जैन दर्शन में प्रमाण विवेचन
2.3. जैन दर्शन में प्रमाण लक्षण विवेचन
2.4. जैन दर्शन में ज्ञान का प्रामाण्य और कथन की सत्यता 2.5. जैन दर्शन के तर्क प्रमाण का आधुनिक सन्दर्भों में मूल्याँकन 2.6. बौद्ध और जैन प्रमाणमीमांसा का तुलनात्मक अध्ययन
2. 7. जैन दर्शन का नयसिद्धांत
2.8. निश्चय (परमार्थ ) और व्यवहार : किसका आश्रय लें ? 2.9. सप्तभंगी : प्रतीकात्मक और त्रिमूल्यात्मक तर्कशास्त्र के संदर्भ में
2.10. शब्द की वाच्य शक्ति 2.11. जैन वाक्य दर्शन
3. जैन धर्मदर्शन एवं आचार शास्त्र
3. 1. प्रवर्तक और निवर्तक धर्मों का मनोवैज्ञानिक विकास एवं सांस्कृतिक प्रदेय
3.2. नैतिक मूल्यों की परिवर्तनशीलता एवं सापेक्षता का प्रश्न 3.3. मूल्य और मूल्यबोध की सापेक्षता का सिद्धान्त
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