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अजीव पदार्थ
दोहा
१. अजीव पदार्थ की पहचान के लिये उसके भावभेद संक्षेप
में प्रगट करता हूँ, ध्यानपूर्वक सुनना।
अजीव पदार्थ के विवेचना की प्रतिज्ञा
ढाल : २
पाँच अजीव द्रव्यों
के नाम
१. जीव के उपरांत धर्म, अधर्म, आकाश, काल और पुद्गल
इन पांच द्रव्यों को और जानो। ये पांचों ही द्रव्य अजीव हैं। बुद्धिमान इनकी पहचान करें।
प्रथम चार अरूपी, पुद्गल रूपी
प्रत्येक द्रव्य का स्वतंत्र अस्तित्व
२. इनमें से प्रथम चार द्रव्यों को भगवान ने अरूपी कहा है।
इनमें वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श नहीं है, केवल पुदगल
द्रव्य को रूपी कहा है उसमें वर्णादि चारो मिलते हैं। ३. ये पाँचों ही द्रव्य एक साथ रहते हैं परन्तु इनमें मिलावट
नहीं होती। एक साथ रहने पर भी प्रत्येक अपने-अपने गुणों के लिये हुए रहता है। इनकी मिलावट करना किसी के
लिये भी संभव नहीं है। ४. धर्म द्रव्य अस्तिकाय है। अस्ति अर्थात् जो वस्तु सत् है
और काय अर्थात् जिसके असंख्यात प्रदेश हैं। असंख्यात प्रदेशी सत् (अस्तित्व वाली) वस्तु होने से जिन-भगवान ने
धर्म द्रव्य को धर्मास्तिकाय कहा है। ५. अधर्म द्रव्य भी अस्तिकाय है। यह भी सत् (अस्तित्व वाली)
वस्तु है और इसके असंख्यात प्रदेश हैं, इसलिये अधर्म द्रव्य को भी अस्तिकाय कहा गया है।
धर्म, अधर्म, आकाश अस्तिकाय क्यों? (गा०४-६)