SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 570
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संवर पदार्थ (ढाल : १): टिप्पणी १४-१५ ५४५ १४. योग-निरोध और फल (गा० ४६-५४) : योग दो तरह के होते हैं-सावद्य और निरवद्य। इनके निरोध से क्या फल होता है, इसका विवेचन उक्त गाथाओं में है। प्रत्याख्यान द्वारा सावद्य योगों के निरोध से विरति संवर होता है। निरवद्य योगों के रूँधने से संवर होता है। मन-वचन-काय के निरवद्य योग घटने से संवर होता है और सर्व योगों के सर्वथा क्षय से अयोग संवर होता है। - साधु का कल्पनीय वस्तुओं का आहार करना निरवद्य योग है। श्रावक का आहार करना सावध योग है। जब साधु कर्म-निर्जरा के लिये आहारादि का त्यागकर उपवास आदि तप करता है तब तप के साथ निरवद्य योग के रूँधने से सहचर संवर होता है। : जब श्रावक कर्म-निर्जरा के लिए आहार-त्याग कर उपसाव आदि तप करता है तब तप के साथ सावध योग के निरोध से सहचररूप से विरतिसंवर होता है। श्रावक पुदगलों का उपभोग करता है, वह सावद्य योग-व्यापार है। इसके त्याग से विरति संवर होता है और साथ ही तप-निर्जरा भी होती है। साधु कल्प्य-पुद्गलों के भोग का त्याग करता है तब तपस्या होती है तथा निरवद्य योग के निरोध से संवर होता है। साधु का चलना, बैठना, बोलना आदि सारी क्रियाएँ निरवद्य योग हैं । इन निरवद्य योगों का जितना-जितना निरोध किया जाता है उतना-उतना संवर होता है साथ ही तप भी होता है। श्रावक का चलना, बैठना, बोलना आदि क्रियाएँ सावद्य-निरवद्य दोनों प्रकार की होती हैं। सावध के त्याग से विरति संवर होता है। निरवद्य के त्याग से संवर होता चारित्र विरति संवर है। वह अविरति के त्याग से उत्पन्न होता है। अयोग संवर शुभ योग के निरोध से होता है। १५. संवर भाव जीव है (गा० ५५) : जीव के दो भेद हैं-द्रव्य-जीव और भाव-जीव । चैतन्य गुणयुक्त पदार्थ द्रव्य-जीव है। उसके पर्याय भाव-जीव हैं। भगवती सूत्र में आठ आत्माएँ कही हैं-द्रव्य-आत्मा, कषाय-आत्मा, योग-आत्मा, उपयोग-आत्मा, ज्ञान-आत्मा, दर्शन-आत्मा चारित्र-आत्मा और वीर्य आत्मा'। ये आठों ही १. पाठ के लिए देखिये पृ० ४०५ टि० २४
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy