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________________ जीव पदार्थ : टिप्पणी ७ ७. जीव के २३ नाम (गा० ३-२४) भगवती सूत्र के २०वें शतक के दूसरे उद्देशक का पाठ, जिसमें जीव के नाम बतलाये गये हैं, इस प्रकार हैं : _ "गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पन्नत्ता, तं जहा-जीवे ति वा, जीवत्थिकाये ति वा पाणे ति वा, भए ति वा सत्ते वा, विन्न ति वा, चये ति वा, जेया ति वा, आया ति वा, रंगणा ति वा, हिंडुए ति वा, पोग्गले ति वा, माणवे ति वा, कत्ता ति वा, विकत्ता ति वा जए ति वा, जंतु ति वा, जोणी ति वा, संयभू ति वा, ससरीरी ति वा, नायए ति वा, अंतरप्प ति वा, जे यावने तहप्पगारा सव्वे ते जाव-अभिवयणा।" __इस पाठ के अनुसार जीव के २२ अभिवचन ही होते हैं | स्वामीजी के सामने भगवती सूत्र का जो आदर्श था, उसमें २३ नाम प्राप्त थे। उपर्युक्त पाठ में वेय (वेद, वेदक) नाम नहीं मिलता। भवगती सूत्र शतक २ उ० १ के आधार पर कहा जा सकता है कि जीव का एक अभिवचन वेद-वेदक भी रहा। जीव के इन नामों से जीव-सम्बधी अनेक बातों की जानकारी होती है। ये नाम गुणनिष्पन्न हैं-जीव के गुणों को भलीभाँति प्रकट करते हैं। स्वामीजी ने ४ से २४ तक की गाथाओं में इन २३ नामों का अर्थ स्पष्ट किया है। यहाँ संक्षेप में उनपर विवचेन किया जाता है। (१) जीव (गा० ४) स्वामीजी ने जीव को जी परिभाषा दी है उसका आधार भगवती सूत्र (२.१) का यह पाठ है : “जम्हा जीवेति, जीवत्तं आउयं च कम्मं उपजीवति तम्हा 'जीवे' त्ति वत्तव्वं सिया।" अर्थात् जीता है, जीवत्व और आयुष्य कर्म का अनुभव करता है, इससे प्राणी का नाम जीव है। जीने का अर्थ है प्राणों का धारण करना'। जीवत्व का अर्थ उपयोग-ज्ञान और दर्शन सहित होना। आयुष्य कर्म के अनुभव का अर्थ है निश्चित जीवन-अवधि का उपभोग। जितने भी संसारी जीव हैं सब प्राण सहित होते हैं। ज्ञान और दर्शन तो जीव मात्र के स्वाभाविक गुण हैं। हर एक प्राणी की अपनी-अपनी आयुष्य होती है। इस तरह जीतें रहने से प्राणी जीव कहलाता है। (२) जीवास्तिकाय (गा० ५) 'अस्ति' का अर्थ है 'प्रदेश' । 'प्रदेश' का अर्थ है वस्तु का वह कल्पित सूक्ष्मतम भाग, जिसका फिर भाग न हो सके। काय का अर्थ है 'समूह' । १. जीवति प्राणान् धारयति (अ-भ० टीका) . २. जीवत्वम् उपयोगलक्षणम् (अ-भ० टीका)
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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