________________
आस्त्रव पदार्थ (ढाल : २) : टिप्पणी : १०-११
"यदि शुभ योग संवर है तो तेरहवें गुणस्थान में मन योग, वचन योग और काय योग को रूंधने का उल्लेख है । फिर संवर को रूंधने की यह बात कैसे ?
"यदि इन योगों के सिवा अन्य मन, वचन और काय के योगों की श्रद्धान है, यथाख्यात चारित्र को शुभ योग मानने की श्रद्धान है तो सोचना चाहिए - यथाख्यात चारित्र तो चौदहवें गुणस्थान में है । यदि यथाख्यात चारित्र शुभ योग है, जो शुभयोग है वही यथाख्यात चारित्र है तो फिर चौदहवें गुणस्थान में अयोगीत्व क्यों कहते हैं ? अपने मुंह से यथाख्यात चारित्र को शुभ योग कहते हैं और साथ ही चौदहवें गुणस्थान में अयोग संवर कहते हैं । फिर सीधा योगी केवली क्यों नहीं कहते ? कैसा अंधेर है कि चौदहवें गुणस्थान में शुभ योग संवर कहते हैं और साथ ही अयोगीत्व भी । पुनः तेरहवें गुणस्थान
शुभ सावद्य योग कहते हैं; मोहकर्म के स्वभाव का कहते हैं। यह भी बड़ा अंधेर है । जिसके मोहकर्म का क्षय हो गया उसमें उसका स्वभाव कैसे रहेगा ? मनुष्य मरने पर उसका अंशमात्र नहीं रहता । साधु, तीर्थंकर काल हो जाने पर उनका स्वभाव अंशमात्र भी नहीं रहता । उसी प्रकार मोहकर्म के सर्वथा क्षय हो जाने पर - एक प्रदेश मात्र भी बाकी न रहने पर मोहकर्म का स्वभाव फिर कहाँ से बाकी रहा।
"वे यथाख्यात चारित्र को शुभ योग कहते हैं। उस योग के मिटने से यथाख्यात चारित्र मिटा या नहीं ? योग को यथाख्यात चारित्र कहते हैं उस अपेक्षा से योग ही यथाख्यात चारित्र है। योग मिटने से वह भी मिट गया। शुभ योग और यथाख्यात चारित्र दो हैं तो शुभ योग तो मिट गया और यथाख्यात चारित्र रह गया।
"यथाख्यात चारित्र को शुभ योग कहना, पाँचों ही चारित्र को शुभ योग कहना यह विपरीत श्रद्धा है ।"
४५६
१०. भंडोपरकण आस्रव है ( गा० १६ ) :
आगम में इसे 'उपकरण असंवर' कहा गया है। वस्त्र, पात्रादि को उपकरण कहते हैं। साधु द्वारा नियत और कल्पनीय उपकरणों का यतनापूर्वक सेवन पुण्य-आस्रव है। उसके द्वारा अनियत और अकल्पनीय उपकरणों का अयतनापूर्वक सेवन पापात्रव है। गृहस्थ के द्वारा सर्व उपकरणों का सेवन पापास्रव है ।
११. सूची - कुशाग्र आस्रव ( गा० १७ ) :
इसे आगम में 'सूची -कुशाग्र' कहा गया है। सूची - कुशाग्र उपलक्षण रूप है। ये समस्त उपग्राहिक उपकरणों के सूचक हैं। कल्पनीय सूची- कुशाग्र आदि का यतनापूर्वक
टीकम डोसी की चर्चा ।
१.
२. ठाणाङ्ग १०.१.७०६
३. ठाणाङ्ग १०.१.७०६
सोतिंदितअसंवरे जाव सूचीकुसग्गअसंवरे ।