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नव पदार्थ
१०. जेया ति वा नाम श्रीकार, कर्म रिपू नों जीतणहार ।
तिणरो पराकम सकत अतंत, थोडा में करे करमां से अन्त ।।
११. आया ति वा नाम इण न्याय, सर्व लोक फरस्यो छै ताय ।
जन्म मरण कीया ठाम ठांम, कठे पाम्यो नहीं आराम ।।
१२. रंगणे१ ति वा मदमातो, राग धेष रूप रंग रातो।
तिण सूं रहे छै मोह मतवालो, आत्मा ने लगावे कालो।।
१३. हिंडुए१२ ति वा जीव रो नाम, चिंहूं गति माहे हीड्यो छै ताम ।
कर्म हिलोलें ठाम ठांम, कठै पाम्यो नहीं विसराम ।।
१४. पोग्ग्ले ति वा जीव रो नाम, पुदगल ले ले मेल्या ठाम ठांम ।
पुदगल माहे रचे रह्यो, तिणसूं लागी संसार री नींव ।।
१५. माणवे१४ ति वा रो नाम, नवो नहीं सासतो छै तांम ।
तिणरी परजा तो पलटे जाय, द्रव्य तो ज्यूं रो ज्यूं रहे ताय ।।
१६. कत्ता५ ति वा जीव रो नाम, करमां रो करता छै तांम।
तिणसूं तिणनें कह्यो छै आश्रव, तिणसूं लागे छै पुदगल दरब ।।
१७. विकत्ता१६ ति वा नाम इण न्याय, करमां ने विधूणे छै ताय ।
आ निरजरा री करणी अभांम, जीव उजलो छै निरजरा तांम।।