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नव पदार्थ
२३. जीव तणा उदे भाव नीपनां, ते कर्म तणा उदा सूं पिछांणो । जीव रा उपसम भाव नीपनां, ते कर्म तणा उपसम सूं जाणो ।।
२४. जीव रा खायक भाव नीपनां, ते तो कर्म तणो खय हुवां सूं तांम | जीव रा खयोपसम भाव नीपनां, खयउपसम कर्म हुआं सूं नांम।।
२५. जीव रा जेहवा जेहवा भाव नीपनां, ते जेहवा जेहवा है जीव रा नाम । ते नाम पाया छै कर्म संजोग विजोगे, तेहवाइज कर्मां रा नाम छै तांम ।।
२६. चारित मोहणी तणी छै पंचवीस प्रकृत, त्यां प्रकृत तणा छै जूआजूआ नांम । त्यांरा उदा सूं जीव तणा नांम तेहवा, कर्म नें जीव रा जूआ जूआ परिणाम | |
२७. जीव अतंत उतकष्टो क्रोध करे जब, जीव रा दुष्ट घणा परिणाम । तिनें अनुताणुबंधीयो क्रोध कह्यो जिण, ते कषाय आत्मा छै जीव रो नाम ।।
२८. जिण रा उदा सूं उतकष्टो क्रोध करे छै, ते उतकष्टा उदे आया छै तां । ते उदे आया छै जीव रा संच्या, त्यांरो अणुताणबंधी क्रोध छै नांम ।।
२६. तिण सुं कांयक थोड़ो अप्रत्याखानी क्रोध, तिण सूं कांयक थोड़ो प्रत्याख्यान। तिण सुं कांयक थोड़ा छै संजल रो क्रोध, आ क्रोध री चोकड़ी कही भगवान ।।
३०. इण रीते मान री चोकड़ी कहणी, माया नें लोभ री चोकड़ी इम जाणो । च्यार चोकड़ी प्रसंगे कर्मों रा नाम, कर्म प्रसंगे जीव रा नाम पिछांणो । ।