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________________ १४० नव पदार्थ १६. सुभ थिर नाम कर्म उदे थकी, सरीर ना अवयव दिढ थाय हो लाल । सुभनाम थी नाभमस्तक लगे, अवयव रूड़ा हुवै ताय हो लाल ।। २०. सोभाग नाम सुभ कर्म थी, सर्व लोक नें वलभ होय हो लाल । सुस्वर सुभ नाम कर्म सूं, सुस्वर कंठ मीठो हुवे सोय हो लाल ।। २१. आदेज वचन सुभ करम थी, तिणरो वचन मानें सहु कोय हो लाल । जश किती सुभ नाम उदय हुआं, जश कीरत जग में होय हो लाल ।। २२. अगरुलघू नाम कर्म सूं, सरीर हलको भारी नहीं लगता हो लाल । परघात सुभ नाम उदे थकी, आप जीते पेलो पामें घात हो लाल । । . २३. उसास सुभ नाम उदे थकी, सास उसास सुखे लेवंत हो लाल । आतप सुभ नाम उदे थकी, आप सीतल पेलो तपंत हो लाल ।। २४. उद्योत सुभ नाम उदे थकी, सरीर नों उजवालो जाण हो लाल । सुभ गइ सुभ नाम कर्म सूं, हंस ज्यूं चोखी चाल वखांण हो लाल ।। २५. निरमाण सुभ नाम कर्म सूं, सरीर फोड़ा फूलंगणा रहीत हो लाल । तीर्थंकर नाम कर्म उदे हूआं तीर्थंकर हुवे तीन लोक वदीत हो लाल ।। २६. केइ जुगलीयादिक तिरयंच नी, गति ने आण पूर्वी जाण हो लाल । तो प्रतंक दीसे पुन तणी, ग्यांनी वदे ते परमाण हो लाल ।।
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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