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________________ नव पदार्थ (४) द्रव्य पुद्गलों की संख्या की हास-वृद्धि नहीं होती, भाव पुद्गलों की संख्या में ही हास-वृद्धि होती है। [इन पर यहाँ क्रमशः विचार किया जाता है।] (१) पुद्गली रूपी द्रव्य है : अन्य द्रव्यों से पुद्गल का जो पार्थक्य है वह इस बात में है कि अन्य द्रव्य अरूपी है और पुद्गल रूपी। उसमें वर्ण, गंध, रस और स्पर्श पाये जाते हैं। इन वर्णादि के कारण पुद्गल इन्द्रिय-ग्राह्य होता है। इसलिये वह रूपी है। पुद्गल के सूक्ष्म-से-सूक्ष्म टुकड़े परमाणु लेकर बड़े-से-बड़े पृथ्वी स्कन्ध तक में ये मूर्त गुण पाये जाते हैं और वे सब रूपी है'। यहाँ यह बात विशेष रूप से जान लेना चाहिए कि प्रत्येक पुद्गल में वर्ण, गंध, रस, स्पर्श चारों गुण युगपत होते हैं। वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श इन चार गुणों में से किसी पुद्गल में एक किसी में दो, किसी में तीन हों ऐसा नहीं है। सब में चारों गुण एक साथ होते हैं। हाँ यह सम्भव है कि किसी समय एक गुण मुख्य और दूसरा गौण हो, कोई गुण एक समय इन्द्रिय प्रत्यक्ष और कोई अतीन्द्रिय हो। परन्तु इससे किसी गुण का अभाव नहीं कहा जा सकता। उदाहरण स्वरूप विज्ञान के अनुसार हाइड्रोजन (Hydrogen) और (Nitrogen) दोनों ही वायु रूप वस्तुएँ (Gas) वर्ण, गंध और रसहीन माने जाते हैं। परन्तु इससे उनमें इन गुणों का सर्वथा अभाव नहीं माना जा सकता। इन गुणों को इनमें सिद्ध भी किया जा सकता है। हाइड्रोजन और नाइट्रोजन का एक स्कंधपिण्ड अमोनिया (Amonia) नामक वायु है इसमें एक अंश हाइड्रोजन और तीन अंश नाइट्रोजन रहता १. 2. प्रवचनसार : २४० वरसगंधफासा विज्जंते पोग्गलस्स सुहमादो। पुढवीपरियंतस्स य सद्दो सो पोग्गलो चित्तो।। (a) Hydrogen is a coloudous gus, and has neither tasto na smell. (Nowth's Inorganic Chemistry p. 206) (b) Nitrogen is a coloudess gas without tasto or amol, (Nowth's Inorganic Chomistry p. 262)
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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