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________________ # 96 महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण ___णमोकार मन्त्र में सम्मोहन (Hypnotising) के भी रास्ते हैं। इसकी कतिपय ध्यनियां ऐसी हैं जो मानव को हिप्नोटाइज (सम्मोहित) कर सकती हैं। जैसे णं है। णं क्या है ? णं में एक बड़ी शक्ति है। इसमें तीन स्तम्भ हैं । कैसा भी दर्द हो, किसी भी अंग में हो, उसको ‘णं' द्वारा दूर किया जा सकता है। ‘णं' पहले दर्द वाले हिस्से को हिप्नोटाइज करेगा फिर दबा देगा। ___ अहम्-आपके पास 49 ध्वनियां हैं। इनमें पहली ध्वनि है अ; और अन्तिम ध्वनि है ह। ये दोनों ध्वनियां कण्ठ से पैदा होती हैं। अहम् मूल मन्त्र है। ध्वनि के साथ उच्चरित करने पर उसमें प्रकाश एवं रंग पैदा हो जाते हैं। पहला सफेद प्रकाश है। वही ह्रीं कर देने पर लाल हो जाता है क्योंकि उसमें र मिल गयी है। जब वह ह्रां (आं) रूप में उच्चरित होता है तो पीत प्रकाश आता है । हूं (उ) कहते ही नीला प्रकाश आता है और स कहते ही रंग एवं प्रकाश काला हो जाता है। णमोकार मन्त्र सृष्टि का मूल है। सभी प्रतिनिधि अक्षर मातृकाएं उसमें हैं। अहम्, ओम, ह्रीं के एकमात्र के कहने पर भी वही णमोकार मन्त्र बनता है। व्याख्या और परिपूर्णता के लिए-बोध के लिए इसे विस्तृत किया गया। इस पूर्ण मन्त्र को सुविधा के लिए संक्षिप्त किया गया यह भी हम कह सकते हैं। रंगों की अनुमति कैसे-दो प्रकार के आसन होते हैं-सगर्भ और अगर्भ । जब हम श्वास को मन्त्र में बदलते हैं तब सगर्भ आसन होता है। जब हम श्वास का दर्शन करते हैं तब अगर्भ आसन होता है। प्राण वायु की गति ऊर्ध्व को है और अपान वायु की नीचे को है। इसको उल्टे रूप में कैसे करें। जिस समय आप सीवन को दवा कर अपान के निस्सरण की प्रक्रिया को रोक देंगे तो अपान वायु स्वतः ही ऊपर को उठना प्रारम्भ कर देगी । अपान वायु ठण्डी है और प्राण वायु गर्म है। जब अपान गर्म हो जाएगी तो ऊपर को भागेगी ही। हर ठण्डी वस्तु को नीचे से गर्मी दी जावे तो वह ऊपर को भागेगी ही। लोहे को गैम से ही काटा जा सकता है। सिर्फ नीली गैस छोड़ते हैं और काटते हैं। वह नीली गैस ही आक्सीजन होती है। उसमें नाइट्रोजन और कार्वन ये सब चीजें मिली हुई हैं । फैक्टरी में गैसों को अलग करते हैं । जो टण्डी होती है वो
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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