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8 943 महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण
उनसे उत्पन्न होने वाले रंग हमारे आन्तरिक एवं बाह्य जगत् के विकास एवं ह्रास में महत्त्वपूर्ण योग देते हैं।
णमोकार महामंत्र के पांचों पदों के पांच प्रतिनिधि रंग हैं, इससे हम परिचित ही हैं । किस रंग का हमारे लौकिक और पारलौकिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह जानने की हमारी सहज उत्सुकता होती ही है। पर, रंग पैदा कैसे होते हैं ? रंग पैदा होते हैं प्रकम्मन आवृत्ति के द्वारा (Frequency) फ्रीक्वेन्सी कैसे और किससे पैदा होती है ?-वह शब्द या ध्वनि के फैलाव से पैदा होती है। सात हजार की फ्रीक्वेन्सी से लाल रंग पैदा होता है। णमो सिद्धाणं की ध्वनि से सात हजार की फ्रीक्वेन्सी पैदा होती है-इसीलिए लाल रंग है उसका। णमो आयरियाणं 6000 की ध्वनियों की फ्रीक्वेन्सी उत्पन्न करने की शक्ति है। 6000 की फ्रीक्वेन्सी पीले रंग को उत्पन्न करती है। णमो उवज्झायाणं में 5000 की फ्रीक्वेन्सी की ताकत है अर्थात् णमो उवज्झायाणं की ध्वनि में 5000 की फ्रीक्वेन्सी की शक्ति है। इससे स्वतः ही नीला और हरा रंग पैदा हो जाता है।
ध्वनियों के संघात से, जप से, उच्चारण से किस प्रकार की फ्रीक्वेन्सी पैदा होती है ? यह ईश्वर में प्रकंपन्न पैदा करती है । इन रंगों का शरीर के विभिन्न भागों पर प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव क्षतिपूरक एवं शक्तिवर्धक होता है। हीलिंग में प्राण और रंग महत्त्वपूर्ण हैं। .. मन्त्रस्थ रंगों का शरीर और मन पर प्रभाव- णमो अरिहंताणं' पद का श्वेत रंग आपको रोगों से बचाता है और आपकी पाचन शक्ति को ठीक करता है। मानसिक निर्मलता और संरक्षण शक्ति भी इसी पद के श्वेतवर्ण से प्राप्त होती है। 'णमो सिद्धाणं' का लाल वर्ण शक्ति क्रिया और गति का पोषक है। नियन्त्रण शक्ति (Controling power) भी इससे ही बढ़ती है। 'णमो आइरियाणं' का पीला रंग संयम और आत्मबल का वर्धक है। चारित्र्य का भी यह पोषक है। ‘णमो उवज्झायाणं' शरीर में शान्ति एवं समन्वय पैदा करता है। इस नीले की महिमा है। हृदय, फेफड़े, पसलियों को भी यह रंग ठीक करता है। ‘णमो लोए सब्ब साहूणं' का काला रंग है। यह शरीर की निष्क्रियता
और अकर्मण्यता को दूर करता है। कर्म दमन और संघर्ष शक्ति इस वर्ण में है । साधु परमेष्ठी अनथक संघर्ष के प्रतीक हैं।