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णमोकार मन्त्र और रंग विज्ञान 185;
4. विद्युत ताप प्रकाश यन्त्र-बदली के दिनों में और रात के समय प्रकाश स्नान के लिए यह यन्त्र उपयोगी है। सफेद रंग के अर्क लैम्प के कारण यह यन्त्र सूर्य जैसा ही प्रकाश देता है। रंग आदि की आवश्यकता के अनुसार बल्ब बदल लिये जाते हैं।
5. पारद वाष्प लेम्प : (Quartz mercury vapour Lamp)स्पेक्ट्रम के विभिन्न रंगों में इन्फ्रारेड और अल्ट्रा वायलेट किरणों का अपना विशेष महत्त्व है। इन्हें उक्त यन्त्र की सहायता से ही प्राप्त किया जा सकता है। सूजन और रक्ताधिक्य के रोगों में ये किरणें महोषध का काम करती हैं। आयुर्वेद और रंग ___ आयुर्वेद का आधार वात, पित्त और कफ हैं। इनके आधार पर रंगों को इस प्रकार रखा गया है-1. कफ का आसमानी रंग, 2. वात का पीला रंग 3. पित्त का लाल रंग, किस रंग के अभाव से क्या होता है, यह जानने के लिए ध्यातव्य यह है कि प्रमुख और सर्वथा मौलिक दो रंग ही हैं-लाल और आसमानी (नीला)। रंगों की. अधिकता भी हानिकारक है। सुस्ती, अधिक निद्रा, भूख की कमी, कब्ज पतले दस्त शरीर में लाल रंग की कमी के कारण आते हैं। रक्त का रंग लाल है ही। आसमानी के अभाव में क्रोध, झुंझलाहट, सुस्ती, अधिक निद्रा और प्रमाद की स्थिति बनती है। रत्न विज्ञान (रत्न-चिकित्सा) (Gem therapy)
रंग विज्ञान अथवा रंग चिकित्सा में इन्द्र धनुष का सर्वोपरि महत्व है। परन्तु इन्द्र धनुष के रंगों को सीधा उससे ही तोप्राप्त करना सम्भव नहीं है। अत: सूर्य-किरण द्वारा, चन्द्र-किरण द्वारा एवं रत्न-रंग या किरण द्वारा यह कार्य किया जाता है। प्रसिद्ध सात रत्नों के नाम, रंग, ग्रह और चक्र इस प्रकार हैं : .
.. वर्ण
ग्रह 1. लाल लाल
मूलाधार 2. मोती नारंगी चन्द्र सहस्रार 3. मंगा
पीला मंगल आज्ञा 4. पन्ना हरा बुध मणिपुर
सूर्य