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________________ 182 महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण चार का रंग-हरा पांच का रंग-नीला छ: का रंग-बैंगनी सात का रंग-जामुनी आठ का रंग-दूधिया (सफेद) नौ का रंग-दूधिया (चामिन) आशय यह है कि अक्षरों या वर्णों का ही रंग नहीं होता, अंकों का भी रंग होता है। रंग से अक्षरों और अंकों की शक्ति और प्रकृति का बोध होता है। बिन्दु का स्फोट ही ध्वनि है और ध्वनि में जब स्फोट आता है तो शब्द बनता है। ध्वनि स्फोट की अवस्था में जब किसी अंग से बिना टकराहट के चली जाती है और सीधी सहस्रार चक्र से जुड़ती है और एक दिव्य प्रकाश का रूप धारण करती है तो उसे अनहत नाद कहा जाता है। जव वह ध्वनि शरीर के अंगों से टकराकर गुजरती है तो वह वर्णात्मक, अक्षरात्मक एवं शब्दात्मक हो जाती है। ध्वनि का वर्ण, अक्षर एवं शब्द में ढलने/बदलने का अर्थ है उसमें प्रकाश का आना और प्रकाश रंग के द्वारा ही प्रकट होता है। प्रकाश विना रंग के अभिव्यक्त नहीं हो सकता। साधक अपने संकल्प बल से ही मन्त्र में उतरता है। वास्तव में मन्त्र भी तो किसी के संकल्प की एक शब्दात्मक आकृति है। संकल्पके अनुसार विचारों और भावों में परिवर्तन आता है। यह परिवर्तन-आकृति परिवर्तन-ही मन्त्र का काम है। आपने अनुभव किया होगा लाल रंग के और नीले रंग के कमरे में कितना अन्तर है। लाल रंग मन को उत्तेजित करता है, भड़काता है, जबकि नीला रंग मन को शान्त करता है, इतना ही नहीं लाल रंग के कारण वही कमरा छोटा दिखने लगता है जबकि नीले रंग के कारण वहीं कमरा बड़ा दिखता है। रंग-परिवर्तन भाव परिवर्तन का प्रमुख कारण है। ध्वनि तरंगों का एक स्थान से दूसरे दूरवर्ती स्थान में सम्प्रेषण और श्रवण त्वरित श्रवण आज विज्ञान के कारण आम आदमी के सामान्य
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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