________________
णमोकार मन्त्र और रंग विज्ञान 2812
कहा गया है, "मैं बादलों में अपना धनुष रखता हूँ और यह मेरे और पृथ्वी के मध्य एक प्रतिज्ञापत्र के रूप में रहेगा।" इसी अध्याय में आगे कहा गया है, "यह धनुष बादलों में रहेगा और मैं सदा उस पर दृष्टि रखंगा कि ईश्वर और पृथ्वी के सभी जीवधारी जगत् के बीच यह प्रतिज्ञापत्र अमर रहे और मेरी स्मृति में रहे । इन सातों रंगों को सृष्टि का जनक, रक्षक एवं ध्वंसक बताया गया है। सात रंग, सप्त ग्रह, सात शरीर चक्र, सप्तस्वर, सात रत्न, पांच तत्त्व, पांच इन्द्रियों और सप्त नक्षत्रों का घनिष्ठ सम्बन्ध है।
महामन्त्र णमोकार की महिमा और गुणवत्ता का अनुसंधान रंग विज्ञान के धरातल पर भी किया जा सकता है। और इससे हमें एक सर्वथा नई समझ और नई दष्टि प्राप्त हो सकती है। भौतिक शक्तियों पर नियन्त्रण करके उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में एक साधन के रूप में स्वीकार करना ही होगा। एक आत्म निर्भरता की मंजिल आ जाने पर साधन स्वयं ही छूटते चले जाते हैं।
प्रतीकात्मकता:
णमोकार मन्त्र में प्रतीकात्मक पद्धति अपनायी गयी है। प्रतीक के के बिना कोई मन्त्र महामन्त्र नहीं कहा जा सकता। इस मन्त्र में जो अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साध परमेष्ठी रखे गये हैं, वे सभी प्रतीक हैं। इसमें जो रंग रखे गये हैं, वे भी प्रतीक हैं । कलर और लाइट में बहुत फर्क नहीं है। एक ही चीज है। कलर में लाइट और साउण्ड सो रहे हैं। कलर स्त्री वाचक और लाइट पुरुष वाचक है।
ध्वनि दो रूपों में आकार ग्रहण करती है। ये दो रूप हैं वर्ण और अंक । वर्ण और अंक का सम्बन्ध ग्रहों, नक्षत्रों, तत्त्वों और रंगों से होता है। वास्तव में वर्ण का अर्थ रंग ही है। ध्वनि को आकृति में बदलने के लिए प्रकाश और रंग में बदलना ही पड़ेगा। वर्णों के रंगों का वर्णन पहले सांकेतिक रूप में किया जा चुका है। अंकों के रंग प्रकार हैं
एक का रंग-लाल (अग्नि तत्त्व) दो का रंग-केसरिया तीन का रंग-पीला