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________________ महामन्त्र णमोकार और ध्वनि विज्ञान 2712 ता शान्ति, पुष्टि दायक, मंगलीक कार्यों में सहायक, उत्पादक, लक्ष्मी उत्पत्ति में सहायक। कण्ठा आकाश तत्वयुक्त। आकर्ष बीज, सर्वार्थक सिद्धिदायक शक्ति का आविष्कारक, सारस्वत बीज युक्त। दन्त। वायु। पीतवर्ण, सुखदायक, परम कुण्डली युक्त शक्ति का स्फोटक, ध्वंसक बीजों का जनक, शान्ति सूचक। मूर्धा। आकाश। णं णमो अरिहंताणं पद क जो शक्ति, तत्त्व और ध्वनि तरंग के आधार पर विश्लेषण प्रस्तुत किया, गया है उसमें यह सिद्ध होता है कि केवल ‘णमो' पद में आकाश बीजों की प्रधानता, शान्ति प्रदायी शक्ति, सिद्धि शक्ति, लौकिक पारलौकिक सिद्धियों की शक्ति तथा सन्तानप्राप्ति में सहायक होने का अद्भुत गुण है। ध्वनि तरंग तो उक्त गुणों को मर्धा से उच्चरित होने के कारण अमतमय कर देती है। ण कार तो अमृतमय ध्वनितरंग युक्त है ही, साथ ही 'मो' में ओष्ठ-ध्वनि तरंग के कारण 'णकर' ध्वनि का अमृत प्रभाव स्थाई हो जाता है। णमो ध्वनि में शब्द ब्रह्म की पूर्ण यथार्थता विद्यमान है। शब्द ब्रह्म, अमृत-वर्षी होता है। बस पाठक या जपकर्ता ने स्वच्छ एवं शुद्ध कण्ठ से पूरी मानसिक पवित्रता के साथ ‘णमो' का उच्चारण किया हो, यह ध्यातव्य है। पूर्णतया सरल निर्विकार एवं निरहंकारी व्यक्ति ही ‘णमो' पद के पाठ का सही पात्र है। णमो' के उच्चारण में 'यो के उच्चारण के साथ ही मूर्धावर्ती अमृत शक्ति से सम्पूर्ण शरीर में एक तृप्ति, तन्मयता एवं निर्विकारता का संचार होता है। भक्त णमो पद के पाठ के साथ
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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