SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1.70 महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण पवित्र ऋषि-मुख से या फिर आकाशवाणी के रूप में प्रकट होते हैं । मन्त्र तो अनादि अनन्त हैं उसे केवल समय पर लोकवाणी में अवतरित होना होता है। ___ णमोकार मन्त्र का ध्वन्यात्मक विश्लेषण एवं निष्कर्ष णमो - ण-शक्ति : शान्ति सूचक, आकाश बीजों में प्रधान, ध्वंसक बीजों का जनक, शान्ति स्फोटक। उच्चारण स्थान : मूर्धा-अमृत स्थल। मो- सिद्धिदायक-पारलौकि सिद्धियों का प्रदाता सन्तान प्राप्ति में सहायक। म-ओष्ठ; ओ-अोष्ठ अरिहंताणं- अ- अव्यय (अविनश्वर), व्यापक आत्मा की विशुद्धता का सूचक, शुद्ध-वृद्ध ज्ञान रूप, प्राण-बीज का जनक । कण्ठ । तत्त्व : वायु, सूर्य-ग्रह, स्वर्ण वर्ण; आकार विशाल उक्त अविनश्वरता, गुणात्मकता, व्यापकता आदि तत्व मन्त्रित अरिहन्त पदवी अकार में हैं। विशद्ध पाठ अथवा जाप से उक्त शक्तियों एवं गुणों की प्राप्ति होती है। रि शक्ति केन्द्र, कार्य साधक, समस्त प्रधान बीजों का जनक, शक्ति का प्रस्फोटक । मर्धा अमृत केन्द्र। अग्नि । इ-शक्ति : गत्यर्थक, लक्ष्मी प्राप्ति । उच्चारण स्थान : तालु। लत्त्व : अग्नि।
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy