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& 60 महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण
2 कृत्रिम तालु (Fals Palete)-यह धातु से बना एक कृत्रिम तालु है। इसे दन्त चिकित्सक ध्वनि परीक्षण के लिए तालु के आकार का बना देते हैं । इसमें फ्रेंच चाक या पाउडर लगाकर, इसे मुख में रखकर तालु में जमा लेते हैं और परीक्षण योग्य ध्वनि को बोलते हैं। वोलते समय पाउडर पुछ जाता है। तुरन्त बाहर निकालकर फोटो लिया जाता है। इससे कृत्रिम तालु द्वारा ध्वनि के सही उच्चारण स्थान का पता लग जाता है। सर्वप्रथम इसका प्रयोग 1871 में कीट्स ने किया।
3. कायमोग्राफ-कायमोग्राफ के द्वारा उच्चारण के समय नासा रन्ध्र, मुख तथा स्वर तंत्रियों के कम्पन को माना जाता है। अघोषसघोष ध्वनि भेद की स्पष्टता के लिए इस यन्त्र का उपयोग होता है। इससे अनुनासिकता तथा महाप्राणता भी नापी जाती है।
4. इंक राइटर-इस यन्त्र से उच्चरित ध्वनियों के सादा कागज पर चित्र बनते हैं।
5. भिगोग्राफ-स्वीडन के एक वैज्ञानिक ने इसका आविष्कार किया । ध्वनि परीक्षण के लिए कायमोग्राफ की तरह यह भी उपयोगी
6. आसिलोग्राफ-कायमोग्राम की श्रेणी का ही एक यन्त्र है। ध्वनि कम्पन, दीर्घता, ध्वनि लहर की परीक्षण इससे होता है । बोलने पर बनी ध्वनियों के शीशे पर चित्र दिखाते हैं। यह विद्युत चालित मशीन है। ___7. लाइरिंगोस्कोप-ध्वनियों के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए यह यन्त्र उपयोगी है। स्वर यन्त्र एवं स्वर तन्त्री की ध्वनियों के परीक्षण के लिए यह यन्त्र है।
एक्सरे और टेप रिकार्डर का उपयोग तो ध्वनि-चित्रों के लिए आम हो गया है। टेप के द्वारा उच्चारण स्थल के निर्णय में सहायता मिलती है।
8. पैटर्न प्ले बैक-इसकी सहायता से ध्वनियों को दृश्यमान बनाया जाता है। इसके बाद ध्वनियों का विश्लेषण सहज एवं सरल हो जाता है।
9. स्पीच स्ट्रेचर-विदेशी भाषा-ध्वनियों के सही ढंग से ग्रहण