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________________ लैटिन - लिंगुआ ग्रीक - लेइखेन जर्मन-प्राखे महामन्त्र णमोकार और ध्वनि विज्ञान के 59 & अरबी-लिस्मान जिह्वा को पांच भागों में बांटा जा सकता है- 1. मूल, 2. पश्य, 3. मध्य, 4. उग्र, 5. नोक वर्गीकरण - ध्वनियों का प्रमुख वर्गीकरण स्वर और व्यंजनों के आधार पर किया जाता है । यह वर्गीकरण सामान्यतया सुविदित है और विस्तृत भेद-प्रभेद यहां अपेक्षित भी नहीं है; फिर इस निबन्ध की सीमा भी है ही । भौतिक शाखापरक ध्वनि विज्ञान (Acoustic Phonetics) भौतिक (Physics) में ध्वनि की इस शाखा को ध्वनि विज्ञान कहते हैं। इसके अन्तर्गत प्रमुख रूप से यह अध्ययन किया जाता है कि वक्ताद्वारा उच्चरित ध्वनियों को किन तरंगों या लहरों के द्वारा श्रोता' के कान तक लाया जाता है । वक्ता से श्रोता तक की ध्वनि प्रक्रिया इस प्रकार होती है- - वक्ता के फेफड़ों से चली हवा ध्वनि - अवयवों की सहायता से आन्दोलित होकर बाहर निकलती है और बाहर की वायु में एक कम्पन्न-सा पैदा करके लहरें पैदा कर देती है । ये लहरें ही सुनने वाले के कान तक पहुंचती हैं और उसकी श्रवणेन्द्रिय में, कम्पन पैदा कर देती है । बस सुनने वाला सुन लेता है । सामान्यतः इन ध्वनि तरंगों की चाल 1100-1200 फीट प्रति सेकण्ड होती है । इस अध्ययन में विविध ध्वनि-यन्त्रों से सहायता ली जाती है । यन्त्रों के माध्यम से सुर, अनुतान, दीर्घता, अनुन्नरसिकता घोषत्व आदि का वैज्ञानिक अध्ययन होता है । इस शाखा को प्रायोगिक ध्वनि विज्ञान (Experimental Phonetics) अथवा यांत्रिक ध्वनि विज्ञान (Instrumental Phonetics) भी कहा गया है । प्रमुख ध्वनि यन्त्र हैं 1. मुख मापक (Mouth majer ) - इसे एटकिन्स ने बनाया था । इसकी सहायता से किसी ध्वनि के उच्चारण के समय जीभ की ऊंचाईनिचाई या सिकुड़पन मापा जा सकता है ।
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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