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________________ 3588 महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण भोजन नलिका, मुख विवर, नासिका विवर) चारों ओर जाते हैं। नासिका विवर और मुखविवर के मुहाने पर एक छोटा-सा मांस खण्ड है, वही अलि जिह्वा या छोटी जीभ कहलाता है। अलि जिह्वा कोमल तालु का अन्तिम भाग है। कोमल तालु-मूर्धा के अन्त का अस्थिमय अंश जहां कोमल मांस खण्ड प्रारम्भ होता है, कोमल तालु कहलाता है जब मुख विवर से वायु भीतर की ओर ली जाती है तो कोमल तालु ऊपर उठ जाता है। किन्तु जब वायु नासिका विवर से निकलती है तब कोमल तालु नीचे की ओर झुक जाता है। कोमल तालु मुखविवर और नासिका विवर के बीच एक कपाट का काम करता है। मूर्धा-कठोर तालु और कोमल तालु के बीच का भाग मूर्धा है। यह उच्चारण स्थलन है। कठोर तालु-वयं के अन्तिम भाग से लेकर मूर्धा के आरम्भ तक का भाग कठोर तालु कहलाता है। मूर्धा की भांति यह भी उच्चारण स्थान है, उच्चारण सहायक नहीं । तालव्य कही जाने वाली ध्वनियों का यही स्थान है। वर्त्य-ऊपर के दांतों के मूल से कठोर ताल के आरम्भ तक का भाग वर्ण्य कहलाता है । यह उच्चारण स्थान-अवयव है। दांत-दांतों की ऊपर की पंक्ति के सामने वाले या ठीक मध्य के दांत ही ध्वनि उत्पादन में विशेष सहायता देते हैं। ये दांत नीचे के ओष्ठ एवं जिह्वा की नोक से मिलकर ध्वनियां उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। जिह्वा-मुख विवर (ध्वनियन्त्र) में जिह्वा सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जिह्वा उच्चारण अवयवों में सबसे प्रमुख है। यही कारण है कि अनेक भाषाओं में जिह्वा के पर्यायवाची शब्द भाषा के पर्याय बन गये हैं। द्रष्टव्य है संस्कृत-वाक्, वाणी (वागिन्द्रय) फारसी-जवान अंग्रेज़ी-टंग, स्पीच (मदर टंग) फ्रेंच-लांग, लंगाज
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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