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________________ णमोकार मन्त्र की ऐतिहासिकता 352 मन्त्र पर अनेकान्त दृष्टि महामंत्र णमोकार को अर्थ और भाव तत्व के आधार पर ही अनादि कहा जा सकता है। इसी को हम द्रव्यार्थिक नय भी कहते हैं। शब्द और ध्वनि के स्तर पर तो इसे सादि मानना ही पड़ेगा। भाषा, ध्वनि, वाक्य तो प्रतिक्षण परिवर्तित होते रहने वाले तत्व हैं। इस मन्त्र में साधु शब्द का प्रयोग है। यह शब्द मुनि-ऋषि शब्दों की तुलना में नया ही है। अतः द्रव्याथिक नय ही प्रमुख होता है-आत्मा होता है, वही निर्णायक तत्व है। पर्याय तो परिवर्तनशील होती ही है। ध्वनि के स्तर पर इस मन्त्र पर स्वतन्त्र अध्याय में विचार किया गया है। उससे अधिक स्पष्टता आएगी। विज्ञान के नित्य नये आविष्कार शीघ्र ही इस तथ्य को प्रमाणित करेंगे कि सभी तीर्थंकरों द्वारा उच्चरित उपदिष्ट वाणी जो चिरकाल से आकाश में व्याप्त थी, रिकार्ड कर ली गयी है। आज हम अनुभव तो करते हैं पर बता नहीं पाते, प्रमाणित नहीं कर पाते। कारण यह है कि तथ्य नष्ट हो गये हैं, लुप्त हो गये है और उनका सार सत्य मात्र हमारे पास है । मन्त्र से हमारे समस्त अन्तश्चैतन्य (आभा-मण्डल) में एक संरचनात्मक विद्युत परिवर्तन होता है। इससे हम सुदूर अतीत और सुदूर भविष्य के भी दर्शन कर समते हैं। लाखों-करोड़ों व्यक्तियों का चिन्तन और विश्वास पागलपन नहीं हो सकता। अवश्य ही महामन्त्र की प्राचीनता और अनादित्व गणितीय पकड़ की चीज नहीं है। . __ आचार्य रजनीश के इस कथन से प्रकारान्तर से हम णमोकार मंत्र की अनादिता की एक सहज झलक पा सकते हैं-"महावीर एक बहुत बड़ी संस्कृति के अन्तिम व्यक्ति हैं-जिस संस्कृति का विस्तार कम-सेकम दस लाख वर्ष है। महावीर जैन विचार और परम्परा के अन्तिम तीर्थंकर है-चौबीसवें। शिखर की, लहर की आखिरी ऊँचाई और महावीर के बाद वह लहर और संस्कृति सब बिखर गयी। आज उन सूत्रों को समझना इसलिए कठिन है, क्योंकि पूरा का पूरा वह वातावरण, जिसमें वे सूत्र सार्थक थे, आज कहीं भी नहीं हैं। ऐसा समझें कि कल तीसरा महायुद्ध हो जाए। सारी सभ्यता बिखर जाए, सीधी लोगों के पास याददाश्त रह जाएगी कि लोग हवाई जहाजों में उड़ते थे। हवाई जहाज तो बिखर जाएंगें, याददाश्त रह जाएगी। यह याददाश्त
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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