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________________ श्वेत रंग - मानसिक और शारीरिक पवित्रता और सत्य के प्रति निष्ठा का वर्धक है । यह रंग सात रंगों के (इन्द्र धनुषी) के आनुपातिक मिश्रण से बनता है अतः इसे सर्वोत्तम भी माना गया पीला रंग : हृदय रोग शमन कारी है, मानसिक प्रफुल्लता का सम्वाहक है । मानसिक उत्तेजना को दूर करता है। .. हरा रंग - नेत्र दृष्टि वर्धक एवं आह्लादकारी है । यह समभाव और विकास का संचालक है । फोड़ों या जख्मों को तुरन्त भरता है । पेचिश को शान्त करता है। नीला रंग - विचार - विस्तार में सहायक, स्मरणशक्ति वर्धक शरीर पीड़ा - हारी एवं मानसिक रुग्णता को दूर करने वाला है । शयन कक्ष का रंग नीला (हल्का नीला) हो तो अत्यन्त शुभ है । यह अपशकुनों से बचाता है। काला रंग - संघर्ष शीलता, त्याग और सेवा का प्रतीक है। यह रंग मानव की बाह्य वृत्तियों में संकोच पैदा करता है । तीर्थंकर मुनिसुव्रत, नेमिनाथ एवं पार्श्वनाथ के क्रमशः श्याम, श्याम एवं घनश्याम वर्ण हैं। प्रश्न ६० मन्त्र के योगमूलक अध्ययन से क्या लाभ है? योग का अर्थ - स्थिर मन की मध्यस्थता से आत्मा का परमात्मा से जुड़ना - एकाकार होना । कर्म में कुशलता और चित्तवृत्तियों का निरोध योग है । अत: इस महामन्त्र के योग मूलक - (शुद्ध मनोमूलक) जाप से परमात्म की प्राप्ति होती है। वास्तव में मन की सहज निर्मलता से जो मन्त्र की आराधना की जाती है वह सर्वोत्तम तो है, पर गहरी सूक्ष्मता और अतीन्द्रियता के कारण बहुत कठिन है । परम योगी और ऋषि भी इसमें चूक 3 2002
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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