SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्न ५९ महामन्त्र के रंगमूलक अध्ययन या जाप से क्या लाभ उत्तर - नेत्र के माध्यम से शरीर एवं आत्मा की शुद्धि और ऊर्जा जागरण। स्पष्टीकरण : आज शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए ध्वनिविज्ञान, रत्न विज्ञान (Gem Therapy), सूर्यकिरण चिकित्सा और रंगीन रश्मि चिकित्सा या योग का वर्चस्व विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित किया जा चुका है । भारतीय सन्तों और ऋषियों ने तो अपने सहस्रों वर्षों के अनुभव से इन चिकित्साओं को सहस्रों वर्ष पूर्व ही प्रतिपादित कर दिया था। रंग विज्ञान या रंग चिकित्सा का भी इस चिकित्साओं में महत्वपूर्ण स्थान है । बल्कि यह कहना अधिक समीचीन होगा कि इन चिकित्साओं का मूलाधार रंग चिकित्सा है। महामन्त्र णमोकार की महिमा और गुणवत्ता का अनुसन्धान रंग विज्ञान के धरातल पर भी किया जा सकता है । इससे हमें सर्वथा नई समझ और दृष्टि भी प्राप्त हो सकती है । भौतिक शक्तियों पर नियन्त्रण करके उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में एक साधन के रूप में स्वीकार करना ही होगा। प्रतीकात्कता - णमोकार मन्त्र में प्रतीकात्मक पद्धति अपनार्य गई है । प्रतीक के बिना कोई मन्त्र महामन्त्र नहीं हो सकता । पाँचों परमेष्ठी प्रतीक है - अथन्त गुणों के । रंग भी प्रतीक हैं शक्ति के । रंगों का सुख, समृद्धि और चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत महत्व है । लाल रंग या प्रकाश धमनी के रक्त को उत्तेजित करता है । लाल रंग में गर्मी होती है । इसका सेंक शीत और सूजन का शमन करता है । विचारों में घनत्व लाता है । यौन दौर्बल्य में प्रभावक है। 3 1992
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy