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उत्तर:
जाते हैं । अतः ध्वनि और रंग के स्थूल पार्थिव माध्यमों से मन्त्राराधना का क्रमिक विकास सामान्य मानव के लिए व्यावहारिक
और सही बैठता है । पर अभ्यास से योगाभ्यास भी होता ही है । मानसिक रुग्णता सबसे बड़ी बीमारी है । इसी मन की भटकन या
दिशान्तरण को रोकने में योग सबसे बड़ी भूमिका अदा करता है। प्रश्न ६१. साधु पद और सिद्ध पद में क्या अन्तर है?
साधु पद केवल साधना के लिए है ।
सिद्ध पद केवल सिद्धि के लिए है । प्रश्न ६२. ध्यान का क्या अर्थ है? उत्तर : । चित्त की एकाग्रता ध्यान है । विकल्प से संकल्प में मन का आना
ध्यान है । जो एक लय से आत्मा का आत्मा के लिए आत्मा में
ध्यान करता है, वही मोक्ष प्राप्त करता है । प्रश्न ६३. मन्त्र साधना में ध्यान का क्या महत्व है? उत्तर : योग और ध्यान लगभग पर्यायवाची शब्द हैं । अतः ध्यानमूलक
मन्त्र साधना आध्यात्मिक ऊर्जा के जागरण में परम सहायक है - इसका विकास ही परमपद से परिचित होना है । उत्कृष्ट ध्यान
अत्यन्त विरल भी है। प्रश्न - ६४ सत्य तक पहुँचने के दो साधन हैं तर्क (ज्ञान) और
अनुभव । इनमें अधिक शक्तिशाली और विश्वसनीय
कौन है? क्यों? उत्तर: किसी घटना अथवा विषय की सच्चाई को जानने के लिए देखना,
समझना और महसूस करना ये तीन साधन है । इसी प्रकार घटना या सत्य को प्रत्यक्ष न देख पाना पर प्राप्त साधनों द्वारा परोक्ष रूप से सत्य तक पहुँचना भी होता है ।
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