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________________ निष्कर्ष - यह कथा स्पष्ट करती है कि महामन्त्र के प्रभाव से भक्त के प्राणों की रक्षा होती है, और दूसरी ओर एक हत्यारा अपनी राक्षसी वृत्ति को त्याग कर आत्मकल्याण (मोक्ष) प्राप्त भी करता विश्वासः फल दायकः" - सही आदमी का सही विश्वास सब कुछ कर सकता है। यह महामन्त्र आत्म कल्याण का साधन है या साध्य? IF . . - यह महामन्त्र आत्म कल्याण का साधन है । इससे जागृति और प्रेरणा प्राप्त कर आत्मा अपने पुरुषार्थ से ही परमात्मा बनता है। णमोकार मन्त्र का मूलाधार ध्वनि है । स्पष्ट कीजिए। "ध्वनि ही प्रकृति की ऊर्जा का मूल स्वरूप है । किसी वस्तु के दसरी वस्तु से घर्षित होने से जो श्रव्य प्रतिक्रिया हो उसे ध्वनि कहते है । वैज्ञानिक दृष्टि से वायुमण्डलीय दवाव (Atmospheric Pressure) में परिवर्तन या उतार चढ़ाव ध्वनि है । ये दोनों . ध्वनियाँ स्थूल और सीमित हैं । भाषा की महत्ता और सार्थकता को हमारे ऋषियों और मथियों ने अत्यन्त दूरदर्शिता से समझा था । अनुभव किया था। उसी के फल स्वरूप दिव्य ध्वनि, शब्द ब्रह्म, स्फोटवाद और शब्दशक्ति का आविष्कार हुआ। ओंकारात्मक निरक्षरी: ध्वनि को इसी सन्दर्भ में समझना कठिन नहीं होगा। मूलाधार चक्र. (कुंडलिनी) के सूक्ष्मतम स्पन्दन से वर्धमान होकर समस्त चक्रों को पार कर सहस्रार चक्र में प्रविष्ट हो एक सम्पूर्ण ध्वनिलहर बनती है - यह अनाहत होती है - मन्त्रात्मक होती है और अपार चैतन्य से 'भरकर आत्मा को निर्मल करती है। आशय यह है कि हम मन्त्र के सस्वर व्यक्तिगत या सामूहिक पाठ से स्वयं की मूलशक्ति को जागृत कर आत्म साक्षात्कार कर सकते हैं। 2196
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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