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________________ 1162 महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण है।"जैन साधना पद्धति जीवत्व से प्रारम्भ होकर आत्मोपलब्धि (मोक्ष प्राप्ति) में पर्यवसित होती है। जैन साधना का मूलाधार इन्द्रिय संयम एवं मनोनियन्त्रण है। महामन्त्र इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उक्त विवेचन द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि मानव जाति को धर्म की आवश्यकता सदा से रही है और आज की परिस्थिति में सर्वाधिक है । आज मानव जाति के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों में विघटन बढ़ता जा रहा है और सभ्यता के नित नये आडम्बरों से वह स्वयं को विवश भाव से जकड़ती जा रही है। अतः सांसारिक और आध्यात्मिक मूल्यों की इस स्थिति को केवल धर्म ही सम्हाल सकता है, वह ही सन्तुलन दे सकता है। धर्म व्यक्ति को समाज या राष्ट्र की इकाई मानता है और उसके विकास में सामाजिक विकास का सहज आदर्श देखता है, वह प्रत्येक व्यक्ति की महानता की संभावना में विश्वास करता है। पूंजीवादी व्यवस्था अन्तःकरण की स्वाधीनता और स्वाभाविक अधिकारों की बात करके शोपण करती रहती है। दूसरी ओर द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद में पदार्थ को प्राथमिकता देकर चेतन तत्व को उसका उपजात माना गया है और अन्त में सामाजिक व्यवस्था और विकास को ही महत्व दिया गया है, व्यक्तिगत स्वाधीनता को नहीं। यान्त्रिक भौतिकवाद में तो जीव-तत्व को भी पदार्थ के रूप में ही स्वीकार किया गया है । अतः मावर्सवाद में समाज को बदलकर ही व्यक्ति को बदलने की प्रक्रिया है। व्यावहारिक विज्ञान और तकनीकी विज्ञान जिनके आविष्कार से मानव बुद्धि की प्रकृति पर विजय सिद्ध हुई है। इनका सामान्य मानव पर ठीक उल्टा प्रभाव पड़ा है कि इन यन्त्रों का दासानुदास बन गया है। मानव ऊर्जा का यन्त्रीकरण हो गया है। स्पष्ट है कि आज का मानव एक खोखला एवं उद्देश्यहीन जीवन जी रहा है। आत्मा की महानता का आदर्श आज लुप्त सा हो गया है। "आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत्" का आदर्श आज केवल ऐतिहासिक महत्व की चीज बनकर रह गया है । यद्यपि आज संस्कृति और धर्म के नाम पर कुछ खद्योती कार्य होते हैं, पर इनसे कल्मष की जमी मोटी परतें कैसे घट-कट सकती हैं ? .अत: आज मानव जाति की भीतरी ताकतों को बचाने के लिए धर्म को
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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