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. णमोकार मन्त्र का माहात्म्य एवं प्रभाव 2151 2
2. 'जैन दर्शन' पत्रिका के वर्ष 3 अंक 5-6 जखोरा (ग्राम) जिला झांसी (उत्तर प्रदेश) निवासी अब्दुल रज्जाक. मुसलमान ने महामन्त्र की महिमा का स्वानुभव प्रकाशित कराया है। इसका उल्लेख डॉo नेमीचन्द्रजी ज्योतिषाचार्य ने अपनी पुस्तक 'मंगल मन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन' में भी किया है।
वह अक्षरशः इस प्रकार है- "मैं ज्यादातर देखता या सुनता हूं कि हमारे जैन भाई धर्म की ओर ध्यान नहीं देते। और जो थोड़ा बहुत कहने-सुनने को देते भी हैं तो वे सामायिक और णमोकार मन्त्र के प्रकाश से अनभिज्ञ हैं। यानी अभी तक वे इसके महत्त्व को नहीं समझते हैं । रात-दिन शास्त्रों का स्वाध्याय करते हुए भी अन्धकार की ओर बढ़ते जा रहे हैं। अगर उनसे कहा जाए कि भाई, सामायिक और णमोकार मन्त्र आत्मा में शान्ति पैदा करने वाले और आए हुए दुःखों को टालने वाले हैं। तो वे इस तरह से जवाब देते हैं कि यह णमोकार मन्त्र तो हमारे यहां के छोटे-छोटे बच्चे भी जानते हैं । इसको आप हमें क्या बताते हैं ? लेकिन मुझे अफसोस के साथ लिखना पड़ रहा है कि उन्होंने सिर्फ दिखावे की गरज से बस मन्त्र को रट लिया । उस पर उनका दृढ़ विश्वास न हुआ और न वे उसके महत्त्व को ही समझे हैं । मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि इस मन्त्र पर श्रद्धा रखने वाला हर मुसीबत से बच सकता है क्योंकि मेरे ऊपर से ये बातें बीत चुकी हैं।
मेरा नियम है कि जब मैं रात को सोता हूं तो णमोकार मन्त्र को पढ़ता हुआ सो जाता हूं। एक मरतबा जाड़े की रात का जिक्र है कि मेरे साथ चारपाई पर एक बड़ा सांप लेटा रहा, पर मुझे उसकी खबर नहीं । स्वप्न में जरूर ऐसा मालूम हुआ जैसा कि कह रहा हो कि उठ सांप है। मैं दो-चार मरतबे उठा भी और उठकर लालटेन जलाकर नीचे ऊपर देखकर फिर लेट गया, लेकिन मन्त्र के प्रभाव से, जिस ओर सांप लेटा था, उधर से एक मरतबा भी नहीं उठा। जब सुबह हुआ, मैं उठा और चाहा कि बिस्तर लपेट लूं, तो क्या देखता हूं कि बड़ा मोटा सांप लेटा हुआ है। मैंने जो पल्ली खींची तो वह झट उठ बैठा और पल्ली के सहारे नीचे उतरकर अपने रास्ते चला गया । यह सत्र महामन्त्र णमोकार के श्रद्धापूर्ण पाठ का ही प्रभाव था जिससे एक विषैला सर्प भी अनुशासित हुआ ।