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महामन्त्र पमोकार अर्थ, व्याख्या (पदक्रमानुसार).8 133 2
नवकार मन्त्र कहने वालों ने इस मन्त्र में एक चार चरणों या पदों दाला मंगल श्लोक भी सम्मिलित कर लिया है। वास्तव में मूलमन्त्र तोपांच पदों का हो है। परन्तु चूलिका रूप चार पद जो मल मन्त्र के फल को बताते हैं, उन्हें भी भक्तिवश मन्त्र के उत्तरार्ध के रूप में स्वीकार किया गया है। मूलमन्त्र : पांच पद
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरिया,
णमो उवज्झायाणं, णमोलोए सव्यसाहर्ण। चूलिका या मन्त्र का उत्तरार्ध
एसो पंच णमोकारो सम्वपावापणासगो।
मंगलाणं च सव्वेसि, पढम हवइ मंगलंः।। अर्थात् यह पंच नमस्कार मन्त्र समस्त पापों का नाशक है. और समस्त मंगलों में प्रथम मंगल है।
मंगल पाठ के समय अर्थात क्सिी साधु या साध्वी के प्रवचन के पश्चात् और कभी-कभी प्रारम्भ में मंगलाचरण के रूप में भी इसका पाठ किया जाता है। इसके साथ निम्नलिखित पाठ भी बोला जाता है
चत्तारि मंगलं, अरिहंता मंगलं, सिद्धा मंगलं, साहू मंगलं, केवली पण्णत्तो धम्मो मंगलम् ।
चत्तारि लोगुत्तमा, अरिहंता लोगुत्तमा,. सिद्ध लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा,
केवली पण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरणं पव्वज्जामि, अरिहंता सरणं पन्बज्जामि, सिद्धा सरणं पव्वज्जामि, साहू सरणं पव्वज्जामि, केवलोपण्णत्तं धम्म सरणं पव्वज्जामि।