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भगवान् महावीर और उनकी शिक्षाएं
जन्म और परिवार
दुःषम- सुषमा नामक काल-खण्ड पूरा होने में ७४ वर्ष, ११ महीने, साढ़े सात दिन बाकी थे । ग्रीष्म ऋतु थी । चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को मध्यरात्रि की वेला थी। उस समय भगवान् महावीर का जन्म हुआ । यह ईस्वी पर्व ५९९ की बात है । विदेह में कुण्डपुर नामक एक नगर था । उसके दो भाग थे । उत्तर भाग का नाम क्षत्रिय कुण्डग्राम और दक्षिण भाग का नाम ब्राह्मण कुण्डग्रामं । भगवान् का जन्म दक्षिण कुण्डग्राम में हुआ था ।
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भगवान् की माता त्रिशला और पिता सिद्धार्थ थे । वे भगवान् पार्श्व की परम्परा के श्रमणोपासक थे। वैशाली गणतन्त्र के प्रमुख महाराज चेटक भगवान् के मामा थे। भगवान् के पिता सिद्धार्थ उस गणराज्य के एक सदस्य थे और क्षत्रिय कुण्डग्राम के अधिपति थे । भगवान् महावीर वैशाली गणतन्त्र के वातावरण में पले-पुसे ।
भगवान् के बड़े भाई का नाम नन्दिवर्धन था । उनका विवाह चेटक की पुत्री ज्येष्ठा के साथ हुआ था । भगवान् के काका का नाम सुपार्श्व और बड़ी बहन का नाम सुदर्शना था ।
नाम और गोत्र
भगवान् जब त्रिशला के गर्भ में आये, तब से सम्पदाएं बढ़ी, इसलिए माता-पिता ने उनका नाम वर्धमान रखा ।
वे ज्ञात (नाग) नामक क्षत्रिय - कुल में उत्पन्न हुए, इसलिए कुल के आधार पर उनका नाम नागपुत्र ( नायपुत्त) हुआ ।
साधना के दीर्घकाल में उन्होंने अनेक कष्टों का वीर-वृत्ति से सामना किया । अपने लक्ष्य से कभी भी विचलित नहीं हुए, इसलिए उनका नाम महावीर हुआ । यही नाम सबसे अधिक प्रचलित है ।
सिद्धार्थ काश्यप गोत्रीय थे । पिता का गोत्र ही पुत्र का गोत्र होता है । इसलिए महावीर काश्यप गोत्रीय कहलाए ।