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श्रावक-श्राविका से क्षमापना अढाई द्वीप पन्द्रह क्षेत्रों में तथा बाहर, श्रावकश्राविका दान देवे, शील पाले, तपस्या करे, भावना भावे, संवरकरे, सामायिक करे, पौषध करे, प्रतिक्रमण करे, तीन मनोरथ चिन्तवे, चौदह नियम चितारे जीवादिक नौ पदार्थ जाने, श्रावक के इक्कीस गुणों सहित, एक व्रतधारी, जाव बारह व्रतधारी, भगवन्त की आज्ञा में विचरे, ऐसे बड़ों को हाथ जोड़, पैरों पड़कर क्षमाता हूँ और छोटों को समुच्चय क्षमाता हूँ, आप क्षमा करने योग्य हैं ।
समुच्चय जीवों से क्षमापना
सात लाख पृथ्वीकाय, सात लाख अपूकाय, सात लाख तेऊकाय,
सात लाख वायुकाय, दश लाख प्रत्येक वनस्पतिकाय, चौदह लाख साधारण
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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