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___कभी ऐसा भी होता है कि मानव अपनी बुद्धि से खूब सोच-समझकर लाभ के लिए व्यापार करता है, लेकिन हो जाती है हानि। वह समझ ही नहीं पाता कि अन्य लोग उसी व्यापार में लाखों कमा रहे हैं, तो वह अपनी पूँजी भी क्यों गँवा बैठा? . लेकिन जो व्यक्ति कर्म सिद्धान्त को जानता है, उस पर विश्वास करता है, वह यह सोचकर धैर्य धारण कर लेता है कि मेरे पूर्वजन्मों में उपार्जित पापकर्मों का उदय चल रहा है, इसी कारण सभी परिस्थितियाँ विपरीत हो गई हैं। जब पुण्य का उदय आएगा, अन्तराय टूटेगी तब सभी परिस्थितियाँ अनुकूल बन जायेंगी। वह सोच लेता हैहाय दिल घबराय मत,
आज गम की रात है। फिर वही दिन आ जायेंगे,
दो-चार दिन की बात है। इस प्रकार गमों, दुखों, कष्टों के घोर अँधियारे में कर्म सिद्धान्त एक आशा का दीप उसके हाथ में थमा देता है। जिसके प्रकाश में
हाय कि सोच लेतात्यातयाँ अन