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________________ आदि प्रवृत्तियों को बढ़ाने में सिनेमाओं के दृश्य मुख्य कारण हैं। अनेक मासूम युवक सिनेमा देखकर हत्यारे और लुटेरे बन जाते हैं। इस प्रकार ये प्रदूषण के अनेक रूप हैं और इनसे बचने के लिए जैन धर्म ने अहिंसा और संयम का सन्देश दिया। अहिंसा के साथ ही जैन धर्म का दूसरा सन्देश है-अपरिग्रह। अपरिग्रह भी मानव को इन सभी प्रकार के प्रदूषणों से बचाता है। अपरिग्रह यह जैन धर्म का दूसरा महत्वपूर्ण जीवन सन्देश है। अपरिग्रह के अर्थ दोनों ही हैअल्प-परिग्रह और परिग्रह का सम्पूर्णतया अभाव। परिग्रह कहा गया है-मूच्र्छा को, ममत्व को; और अपरिग्रह है-ममता का, ममत्व का, मूच्र्छा का अभाव अथवा इनकी अल्पता। मूच्र्छा का अभाव अथवा अल्पता सैद्धान्तिक है। इसका अभिप्राय यह नहीं है कि एक ओर तो व्यक्ति परिग्रह बढ़ाता जाय, कोठी, कार, स्कूटर, बँगले तथा अत्याधुनिक साधनों की".
SR No.006268
Book TitleJain Dharm Ka Jivan Sandesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1990
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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