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भूमि-सुरक्षा- भूमि मानव को आधार देती है, साथ ही आहार भी। अधिक उत्पादन के लोभ में, जहरीले उर्वरकों का उपयोग, कीटनाशक दवाइयों का उपयोग, गहरी जुताई आदि के कारण भूमि की रक्षा करने वाले कीटों का भी विध्वंस, भूमि की उर्वरा शक्ति तथा पृथ्वीकाय के जीवों का विनाश हो रहा है। साथ ही कीटनाशक दवाइयाँ मानव-स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक हानिकारक सिद्ध हो रही हैं।
साथ ही खनिज सम्पदा के दोहन की अति-तीव्र और अनियमित गति भी भूमि प्रदूषण फैला रही है।
जल-सुरक्षा-इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के कारखाने, कॉस्मेटिक्स निर्माण करने वाली फैक्ट्रियाँ, रंग निर्माता तथा प्लास्टिक उद्योग के कचरे आदि से जल-प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी है। शुद्ध पेय जल का अभाव सा हो चला है।
वायु सुरक्षा-औद्योगिक सभ्यता के प्रतीक कारखानों की चिमनियों से निकले हुए धुएँ, तेजी से दौड़ते स्कूटर, कार, ट्रकों आदि से