________________
एकम । जैन इतिहास में इसका अत्यधिक महत्व है ।
दिगम्बर परम्परा के अनुसार श्रावणी प्रतिपदा को ही भ. महावीर ने अपना प्रथम प्रवचन मध्यम पावा में दिया था । (यद्यपि भ. महावीर को केवलज्ञान की उपलब्धि वैशाख सुदी १० को ही हो चुकी थी, लेकिन योग्यपात्र के अभाव में वे मौन रहे थे। ) भगवान के प्रथम प्रवचन से धर्म का शुष्क होता कल्पवृक्ष पुनः हरा-भरा हो गया । इन्द्रभूति गौतम आदि अनेक विद्वानों ने भगवान का शिष्यत्व ग्रहण किया और भगवान ने चतुर्विध तीर्थ की स्थापना की ।
इस रूप में श्रावणी प्रतिपदा का यह दिन श्रुतज्ञान का प्रथम पर्व बन गया । अब लीजिए पर्वों की श्रृंखला - इन
(३३)