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अधिक क्षमा की साधना और तप की आराधना करनी चाहिए ।
तप की आराधना तो चातुर्मास में भाई-बहन करते ही हैं । उपवास से लेकर अठाई, मासखमण और यहाँ तक कि चार महीनों के तप की आराधना भी कुछ श्राविकाएँ कर लेती हैं । लेकिन यदि तप के साथ क्षमा की भी आराधना करें तो सोने में सुहागा की उक्ति चरितार्थ हो जाय ।
भगवान महावीर ने कहा है-क्षमा से आत्मा में प्रसन्नता-प्रफुल्लता उत्पन्न होती है। आन्तरिक हर्ष से आत्मिक आनन्द की उपलब्धि होती है, आत्मिक-सुख का रसास्वादन होता है । चातुर्मास में करणीय अन्य कृत्य
श्राद्ध विधि नामक ग्रन्थ में चातुर्मास में किये जाने वाले कृत्यों की विस्तृत सूची
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