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दिन तो सामायिक दिवस, स्वाध्याय दिवस या क्षमा दिवस के रूप में मनाया ही जाना चाहिए । यदि अधिक दिन इसी प्रकार मनाए जा सके तो और भी अच्छा है । वस्तुतः चातुर्मास आध्यात्मिक-साधना के लिए ही है और सामायिक, स्वाध्याय, क्षमा ये सब आत्म-विशुद्धि के कारक ही हैं। सिद्धि प्राप्त करने के आवश्यक सोपान
(३) प्रतिदिन एक घण्टा ध्यान-मौन की साधना सभी भाई-बहन,श्रावक-श्राविकाएँ करें ।
(४) स्वधर्मिवात्सल्य और संगठन दृढ करने के प्रयास भी चातुर्मास के अवश्य करणीय कर्तव्य हैं ।।
चातुर्मास क्षमा और तप का अपूर्व प्रसंग है । इन चार मासों में अधिक से
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