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कम हो जाती हैं । इस काल का सदुपयोग भौतिक धन-वैभव की लालसा का त्याग कर आध्यात्मिक सम्पदा के उपार्जन में किया जाये तो सर्वत्र सुख ही सुख की वृष्टि होगी; ठीक उसी तरह जैसे श्रावण मास में शीतल-सुखद जल वर्षा होती है ।
प्रकृति का वातावरण भी इन चार महीनों में सुख और शांतिप्रद रहता है, यह समय मानसिक-आत्मिक शांति के लिये भी अनुकूल है । चातुर्मास के विशेष कार्यक्रम
चातुर्मास के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये विशेष कार्यक्रम का निर्माण और कार्यान्वयन इस प्रकार किया जा सकता
है
(१) धर्म-शिक्षण-बालक, युवक, प्रौढ, महिलाओं आदि को चार मास का पाठ्यक्रम
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