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हैं और कार्तिक शुक्ला ११ को उनकी नींद टूटती है, सुषुप्ति से जाग्रत अवस्था में आते हैं । और उनकी ज़ाग्रत दशा में ही विवाह आदि लौकिक शुभ कार्य किये जाने चाहिए, सुषुप्ति दशा में नहीं । उनके जागने की तिथि कार्तिक शुक्ला ११ को 'देवोत्थान' कहा जाता है और वैदिक परम्परा के अनुयायी इस दिन हर्षोत्सव मनाते हैं ।
ये कारण तो अपनी-अपनी परम्परा और धारणा के अनुसार हैं; लेकिन उद्देश्य तो एक ही है कि वर्षाऋतु में लौकिक शुभकार्य भी नहीं किये जाते । अतः धर्म साधना का अवसर अधिक मिलता है । आध्यात्मिक महत्व
चातुर्मास का आध्यात्मिक महत्व तो और भी अधिक है । वैदिक परम्परा में श्रावण मास को
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