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भी मन्द पड़ जाती है । क्षमा की शीतलता का अनुभव होने लगता है।
वर्षा की रिमझिम करती बूँदें जब कोमल मिट्टी पर गिरती हैं तो उस माटी में अपूर्व उर्वरा शक्ति जग उठती है । किसान खेतों की समृद्धि के सपने संजोये बीज बोता है 1 और बीजों को अंकुरित पल्लवित पुष्पित होने की आशा लगाकर बड़ी उमंग से श्रम करता है । "दादुर मोर किसान मन लगा रहे घन ओर........... 1
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मौसम की दृष्टि से वर्षा ऋतु समशीतोष्ण होती है इसलिए कृषिकार्य के लिए तो प्रकृति सर्वथा अनुकूल होती ही है, किन्तु ऋषि - कार्य के लिए भी अर्थात् - धर्म के बीज बोने के लिए भी यह ऋतु सर्वथा अनुकूल रहती है । इसीलिए सन्तजन
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