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(५४) तीव्रगति से श्वासोच्छ्वास चलता हो, उस समय ध्यान में विक्षेप होता है, मन एकाग्र नहीं हो पाता ।
मन और श्वासोच्छ्वास का सीधा सम्बन्ध है । प्राण की गति का प्रभाव मन पर पड़ता है । प्राण ( श्वासोच्छ्वास) जितना सम होगा, मन भी उतनी शीघ्रता से साम्यावस्था में आ जायेगा और ध्यान की स्थिति मूर्त रूप ग्रहण कर लेगी ।
अतः नवकार मंत्र की ध्यान साधना से पूर्व इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है । इनसे ध्यान साधना सहज और फलवती बनती है ।
नमोकार मंत्र की साधना का फल
यह तो एक जाना हुआ तथ्य है कि प्राणी की प्रत्येक प्रक्रिया किसी न किसी प्रकार का परिणाम लाती ही है । मंत्र साधना भी
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