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________________ (४६) इस प्रकार नमोकार महामंत्र की साधना विभिन्न वर्णों (रंग) के माध्यम से एकनिष्ठा और दृढ़ विश्वास के साथ की जाती है । / यद्यपि आत्मिक दृष्टि से विचार किया जाय तो आत्मा का कोई वर्ण ही नहीं होता । सिद्ध परमेष्ठी, जो परमशुद्ध, आत्मस्वरूप हैं, वे तो पूर्णतः अवर्ण ही हैं । किन्तु नवकार महामंत्र की साधना में जो रंगों का विधान किया गया है, वह प्रतीकात्मक है । अर्हन्त परमेष्ठी का श्वेत वर्ण उनकी निर्मलता का प्रतीक है, आचार्य परमेष्ठी का पीला रंग उनकी ज्ञान गरिमा और आचार की उत्कृष्टता तथा अशबल (निष्कलंक) संयम का प्रतिनिधित्व करता है । उपाध्याय जी का नीला रंग उनकी प्रशांतता, उपशमता का दिग्दर्शन कराता है, जब कि साधुजी का काला वर्णं उनके गुणों के
SR No.006265
Book TitleAnant Sakti Ka Punj Namokar Mahamantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1990
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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