________________
(२६) इसके परिणाम स्वरूप उसकी आत्मरमणता में वृत्ति अधिक जमती है, आत्मसुख की अनिवर्चनीय अनुभूति होती है । वृत्तियों में शोधन से उसके जीवन में श्रेयकारी परिवर्तन होता है।।
ये सभी विशेषताएँ नवकार मंत्र में हैं । और इसकी साधना करने वाले विशिष्ट साधकों मे अनुभव की हैं, व्यक्त भी की हैं । जिसके आधार पर हमने यह संकेत दिये
__ इस महामंत्र की विधिवत् जप-साधना से साधक को इन सभी विशिष्टताओं की अनुभूति एवं उपलब्धि सहज ही होती है । आप भी कर सकते हैं।
साधना-प्रक्रिया साधना से पहले साधना के तत्वों को समझें । ये तत्व हैं- (१) श्रद्धा (२) भावना (३) निष्ठा आदि ।