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किन्तु इनमें पौष्टिक और शान्तिक मंत्र ही सात्विक और श्लाघनीय माने गये पौष्टिक मंत्र - ध्वनियों से आत्म-शांति तथा भौतिक सम्पदाओं की प्राप्ति होती है, जबकि शान्तिक मंत्रों की ध्वनि तरंगें मानसिक, शारीरिक, दैविक और आनेवाली बाधाओं को उपशांत करके मस्तिष्कीय स्थिरता प्रदान करती हैं । मानसिक शान्ति देती हैं ।
जहाँ तक महामंत्र नवकार के वर्णसंयोजन का प्रश्न है; उसे शांतिक और पौष्टिक मंत्रों की श्रेणी में रखा जा सकता है । यह वर्ण-संयोजन इतना श्रेष्ठ है कि आपदाओं का निवारण करके सभी प्रकार के विकारों को उपशांत करता है तथा आत्मिक शांति तो इसका मूल उद्देश्य है ही । साधक को सभी प्रकार का लाभ सहज ही प्राप्त होता है ।