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आविष्कृत किये हैं तो साथ ही उसे तनाव की सौगात भी सौंपी है । चाँद, तारों तक पहुँचने वाला मानव तनावों में जी रहा है । समृद्धि के साथ अशांति, असंतोष और तनाव । आज भौतिक समृद्धि के सागर में बैठा मानव उस समृद्धि से सुख की एक बूंद के लिए भी प्यासा है, तरसता है । यहऐसी ही स्थिति है, जैसी जल बिच मीन पियासी। ___ बात अटपटी है लेकिन है सत्य । मनुष्य ने ज्यों-ज्यों सुख-शांति के साधन खोजे त्यों-त्यों तनाव का तमाच्छादित कुहरा अधिकाधिक गहराता ही गया, सघन होता चला गया। __ ऐसा क्यों हुआ ? मूल में ही भूल हो गई । शांति मानव के हृदय में है, मानसिक वृत्तियों और संतोष तथा समता में है, जबकि
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