________________
पश्चिमी जगत में कहा जाता हैConflict is life. जीवन ही संघर्षमय है।
भारतीय चिन्तन कहता है-जीवन संघर्षमय भले ही हो, किन्तु जीवन का लक्ष्य, संघर्ष नहीं शान्ति है । इस जीवन में संघर्ष करने पड़ते ही हैं परन्तु शान्ति के लिए । जिस चन्दन के अत्यधिक घर्षण से आग पैदा हो सकती है, उस चन्दन के लेप से शान्ति भी मिल जाती है । जिस कीचड़ से कपड़े गन्दे होते हैं, उसी कीचड़ में कमल भी पैदा होते हैं । इसी प्रकार हम इस जीवन को संघर्षमय नहीं, शान्तिमय बनाना चाहते हैं, तो विकारों से संघर्ष कर शान्ति के द्वार तक पहुंच सकते हैं । इसी शान्तिद्वार तक पहुँचने की प्रक्रिया है-सामायिक ।
(१२)