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________________ मैंने बहुत बार इस विषय पर लिखा है और समाज के सभी वर्ग को सावधान किया है कि स्वाद के चक्कर में बर्बाद होने से बचें । जीभ के वश होकर जीवनं से खिलवाड़ न करें । आरोग्य चाहते हैं, दीर्घ जीवन चाहते हैं, स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आहार का विवेक सीखें । गीता के अनुसार युक्ताहार विहारस्य योगो भवति दुःखहा। जिसका आहार-विहार संयत है, वह दुःख व कष्टों से दूर रह सकता है । ___"आहार और आरोग्य" नामक यहलघु पुस्तक पाठकों की मार्गदर्शिका बनेगी और स्वस्थ एवं आदर्श जीवन, जीने की सूचनाएं देगी तो मैं अपना श्रम सार्थक समझंगा। - उपाचार्य देवेन्द्रमुनि
SR No.006263
Book TitleAahar Aur Aarogya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1990
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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