________________
६. पुण्य तत्व पुण्य, उसे कहा जाता है जो आत्मा को पुनीतपवित्र करता है । इसका बंध मन-वचन-काय की शुभ क्रियाओं से होता है । पुण्य का लौकिक फल मीठा-आत्मा के अनुकूल होता है । ___ प्रमुख रूप से पुण्य के दो भेद हैं -(१) पुण्यानुबंधी पुण्य और (२) पापानुबंधी पुण्य । ____पुण्यानुबंधी पुण्य, पुण्य की परम्परा को आगे बढ़ाता है और क्रमशः उन्नति करता हुआ जीव मोक्ष भी पा लेता है। किन्तु पापानुबंधी पुण्य इसके विपरीत है। पुण्य के फलस्वरूप आत्मा सुख भोगते हुए इन्द्रिय विषयों, कषायों की ओर प्रवृत्त हो जाता है तो पाप कर्मों का बंध करके पतित हो जाता है। ऐसा पुण्य पाप की परम्परा को बढ़ाता है । पुण्यबंध ६ प्रकार से होता है
(१) अन्न पुण्य -पात्र को शुभ भावों से भोजन देने से ।
( ३० )
३