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40... शंका नवि चित्त धरिये !
समाधान- मंदिर में चढ़ाए गए बादाम, श्रीफल, नैवेद्य, चावल आदि निर्माल्य द्रव्य कहे जाते हैं। जो वस्तु एक बार निर्माल्य बन जाए उसे पुनः चढ़ाया नहीं जा सकता। परमात्म भक्ति हेतु हमेशा ताजा नैवेद्य एवं फल आदि चढ़ाना चाहिए। अतः एक बार चढ़ाए गए बादाम, श्रीफल आदि दुबारा नहीं चढ़ा सकते हैं।
शंका- बीसस्थानक या नवपद गट्टा की पूजा करने के पश्चात अरिहंत परमात्मा की पूजा कर सकते हैं?
समाधान- बीसस्थानक या नवपद यंत्र की पूजा करने के बाद अरिहंत परमात्मा की पूजा कर सकते हैं क्योंकि इस यंत्र में किसी व्यक्ति विशेष की नहीं अपितु पदों की पूजा है। जब हम एक नवपद यंत्र की पूजा करने के पश्चात दूसरे नवपद यंत्र की पूजा कर सकते हैं, जबकि उसमें भी अरिहंत है तब अरिहंत प्रतिमा की क्यों नहीं। अतः इनकी पूजा के बाद जिन प्रतिमा की पूजा करने में कोई बाधा नहीं है। ____का- भगवान की पूजा करने के बाद लंछन की पूजा भी करनी चाहिए?
समाधान- लंछन अर्थात चिह्न। इसके द्वारा यह जाना जाता है कि यह कौन से भगवान की प्रतिमा है। परन्तु उसकी पूजा करने का उल्लेख कहीं भी प्राप्त नहीं होता अत:लंछन की पूजा नहीं होती।
शंका- सम्पूर्ण रूप से स्वद्रव्य का प्रयोग कैसे करें? चंदन घिसने हेतु चौरस एवं जल तो मंदिर का ही उपयोग में लेना पड़ता है?
समाधान- मंदिर के चौरस एवं जल आदि का प्रयोग करते हों तो उसका समुचित नकरा मंदिर में जमा कर देने पर देव द्रव्य का दोष नहीं लगता। ऐसी पूजा स्वद्रव्य कृत पूजा ही कहलाती है।
शंका- बरास पूजा के बाद अंगलूंछण करना जरूरी है?
समाधान- वस्तुतः बरास पूजा चंदन पूजा का ही एक अंग है। यह प्रतिमा की सुंदरता एवं शोभा की वृद्धि हेतु की जाती है पर अंगलूंछण द्वारा साफ करने का उल्लेख कहीं भी प्राप्त नहीं होता है। अत: बरास पूजा के बाद अंगलुंछण क्रिया आवश्यक नहीं है।