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________________ 16... शंका नवि चित्त परिये ! की अच्छी व्यवस्था नहीं है, वहाँ की प्रतिमाएँ अन्य स्थान पर भिजवा सकते हैं? समाधान- जिनप्रतिमा जिनेश्वर परमात्मा के समान है अत: उनका उचित आदर-सम्मान होना अत्यावश्यक है। 'स्तव परिज्ञा' आदि ग्रन्थों के उल्लेखानुसार जिनप्रतिमा की हर दिन प्रक्षाल-पूजा होनी चाहिए। यदि कहीं पर मर्तियों की संख्या अधिक हो और पूजा आदि व्यवस्थित न होने से जिन प्रतिमाओं की आशातना होती हो तो पदाधिकारियों को प्रतिमाओं की अधिक संख्या का मोह छोड़कर उन्हें आवश्यक स्थानों या नूतन निर्माणाधीन जिनमंदिरों में अवश्य भिजवाना चाहिए। इससे प्रतिमा का उचित आदर सत्कार होगा। लोगों को प्राचीन जिन प्रतिमाओं की भक्ति का लाभ मिलेगा तथा आशातना से बचाव होगा। शंका- जिन प्रतिमा के हृदय स्थल पर श्रीवत्स क्यों होता है? समाधान- त्रेसठ शलाका पुरुषों के वक्षस्थल पर खड्डा नहीं होता अपित उनका वह भाग उभरा हुआ होता है। यह उनका एक शुभ लक्षण है। इसी के प्रतिरूप में जिन प्रतिमा पर श्रीवत्स बनाया जाता है। शंका- जिन प्रतिमा निर्माण में उपयोगी पाषाण का बहमान कैसे और क्यों करना चाहिए? समाधान- जिन प्रतिमा निर्माण हेतु पाषाण लाने के लिए न्यायोपार्जित द्रव्य का ही उपयोग करना चाहिए। इसी के साथ शिल्पी को प्रसन्न रखना, भूमि के अधिष्ठायक क्षेत्र देव की आज्ञा लेने हेतु तप करना, पाषाण की पूजा करना,अमुक गाँव के लोगों को प्रीतिदान देना आदि भी आवश्यक माना गया है। इससे जिनप्रतिमा अधिक प्रभावी बनती है तथा कई अपेक्षित विघ्नों का शमन हो जाता है। नैगम नय की अपेक्षा से खदान का पाषाण प्रतिमा का पूर्वरूप होने से प्रतिमा के समान ही है अत: उसे बहुमान पूर्वक लाना चाहिए। शंका- मूतिर्यों का लेप आदि करवाने पर उनकी प्रक्षाल-पूजा तुरन्त कर सकते हैं या अठारह अभिषेक करने के बाद करनी चाहिए? समाधान- आचार्यों के अनुसार नूतन लेपकृत प्रतिमाओं की प्रक्षाल-पूजा अठारह अभिषेक करवाने के पश्चात करनी चाहिए। परंतु अठारह अभिषेक न हो तब तक पूजा बंद नहीं करनी चाहिए। लेप बिगड़े नहीं इस दृष्टि से नौ अंग के
SR No.006260
Book TitleShanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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